Published on Oct 08, 2021
World Environment Day Quotes in Sanskrit : The 5th of June is World Environment Day. United Nations' World Environment Day Facts about World Environment Day 2021: The United Nations will also kick up the ‘UN Decade on Ecosystem Restoration' this year. It is a ten-year plan that will encourage authorities to consider ways to halt ecological degradation.
This year's World Environment Day theme is "Reimagine, Recreate, Restore."
2021 is World Environment Day. Here's what's new: On Saturday, June 5, the world will commemorate World Environment Day.
It is the United Nations' largest public awareness campaign, which began in the early 1970s. It's that time of year again, when civil society organisations, environmentalists, schoolchildren, and world leaders pause to consider the effects of human activities on Mother Earth.
With the climate catastrophe causing irrevocable changes to our lives as we know them, World Environment Day is also a good moment to consider new, practical solutions to problems like deforestation and plastic pollution.What will be the theme of World Environment Day in the year 2021?
This World Environment Day, according to the United Nations, the human population must vow to make small lifestyle changes that will assist restore the natural order of things. We must reinvent and rethink ways to assist Mother Earth heal, whether it is through a ban on single-use plastic or by infusing more green into our concrete jungles across the cities.
1. विश्वपर्यावरणदिनस्य शुभकामनाः।
विश्वपर्यावरणदिन कि शुभकामनाएं।
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दशकूपसमा वापी, दशवापीसमो ह्रदः।
दशह्रदसमो पुत्रो, दशपुत्रसमो द्रुमः।।
दस कुँए के बराबर होती है एक बावड़ी, दस बावड़ी के बराबर एक सरोवर, दस सरोवर के समान एक पुत्र और दस पुत्रों के समान एक वृक्ष का महत्त्व होता है।
2. स्वभावो नोपदेशेन शक्यते कर्तुमन्यथा ।
सुतप्तमपि पानीयं पुनर्गच्छति शीतताम् ॥
अर्थ- किसी भी व्यक्ति का मूल स्वभाव कभी नहीं बदलता है. चाहे आप उसे कितनी भी सलाह दे दो. ठीक उसी तरह जैसे पानी तभी गर्म होता है, जब उसे उबाला जाता है. लेकिन कुछ देर के बाद वह फिर ठंडा हो जाता है.
3. अनाहूतः प्रविशति अपृष्टो बहु भाषते ।
अविश्वस्ते विश्वसिति मूढचेता नराधमः ॥
अर्थ- बिना बुलाए स्थानों पर जाना, बिना पूछे बहुत बोलना, विश्वास नहीं करने लायक व्यक्ति/चीजों पर विश्वास करना…. ये सभी मूर्ख और बुरे लोगों के लक्षण हैं.
4. यथा चित्तं तथा वाचो यथा वाचस्तथा क्रियाः ।
5. चित्ते वाचि क्रियायांच साधुनामेक्रूपता ॥
अर्थ- अच्छे लोगों के मन में जो बात होती है, वे वही वो बोलते हैं और ऐसे लोग जो बोलते हैं, वही करते हैं. सज्जन पुरुषों के मन, वचन और कर्म में एकरूपता होती है.
षड् दोषाः पुरुषेणेह हातव्या भूतिमिच्छता ।
निद्रा तद्रा भयं क्रोधः आलस्यं दीर्घसूत्रता ॥
अर्थ- छः अवगुण व्यक्ति के पतन का कारण बनते हैं : नींद, तन्द्रा, डर, गुस्सा, आलस्य और काम को टालने की आदत.
द्वौ अम्भसि निवेष्टव्यौ गले बद्ध्वा दृढां शिलाम् ।
6. धनवन्तम् अदातारम् दरिद्रं च अतपस्विनम् ॥
अर्थ- दो प्रकार के लोग होते हैं, जिनके गले में पत्थर बांधकर उन्हें समुद्र में फेंक देना चाहिए. पहला, वह व्यक्ति जो अमीर होते हुए दान न करता हो. दूसरा, वह व्यक्ति जो गरीब होते हुए कठिन परिश्रम नहीं करता हो.
7. स्वभावो नोपदेशेन शक्यते कर्तुमन्यथा ।
सुतप्तमपि पानीयं पुनर्गच्छति शीतताम् ॥
अर्थ- किसी भी व्यक्ति का मूल स्वभाव कभी नहीं बदलता है. चाहे आप उसे कितनी भी सलाह दे दो. ठीक उसी तरह जैसे पानी तभी गर्म होता है, जब उसे उबाला जाता है. लेकिन कुछ देर के बाद वह फिर ठंडा हो जाता है.
8. अनाहूतः प्रविशति अपृष्टो बहु भाषते ।
अविश्वस्ते विश्वसिति मूढचेता नराधमः ॥
अर्थ- बिना बुलाए स्थानों पर जाना, बिना पूछे बहुत बोलना, विश्वास नहीं करने लायक व्यक्ति/चीजों पर विश्वास करना…. ये सभी मूर्ख और बुरे लोगों के लक्षण हैं.
8)यथा चित्तं तथा वाचो यथा वाचस्तथा क्रियाः ।
चित्ते वाचि क्रियायांच साधुनामेक्रूपता ॥
अर्थ- अच्छे लोगों के मन में जो बात होती है, वे वही वो बोलते हैं और ऐसे लोग जो बोलते हैं, वही करते हैं. सज्जन पुरुषों के मन, वचन और कर्म में एकरूपता होती है.
9. षड् दोषाः पुरुषेणेह हातव्या भूतिमिच्छता ।
निद्रा तद्रा भयं क्रोधः आलस्यं दीर्घसूत्रता ॥
अर्थ- छः अवगुण व्यक्ति के पतन का कारण बनते हैं : नींद, तन्द्रा, डर, गुस्सा, आलस्य और काम को टालने की आदत.
10. द्वौ अम्भसि निवेष्टव्यौ गले बद्ध्वा दृढां शिलाम् ।
धनवन्तम् अदातारम् दरिद्रं च अतपस्विनम् ॥
अर्थ- दो प्रकार के लोग होते हैं, जिनके गले में पत्थर बांधकर उन्हें समुद्र में फेंक देना चाहिए. पहला, वह व्यक्ति जो अमीर होते हुए दान न करता हो. दूसरा, वह व्यक्ति जो गरीब होते हुए कठिन परिश्रम नहीं करता हो.
It all began in 1972. The United Nations General Assembly, or UNGA, declared World Environment Day in 1972. It has been celebrated every year since then, with fresh and pertinent themes for each year.
This year's World Environment Day celebrations will be held in Pakistan.
It's all about rebuilding the natural ecology this year. This year, the United Nations is asking each country to commit to ending the mindless habits that pollute our cities, beaches, and forests. If we can reclaim part of our lost glory, we will be able to save millions of people from the dreadful trap of hunger, displacement, and disease.
The United Nations will also kick up the ‘UN Decade on Ecosystem Restoration' this year. It is a ten-year plan that will encourage authorities to consider ways to halt ecological degradation. This is also the year to observe how the coronavirus epidemic has caused everyone to slow down and consider the effects of human actions. We may not be able to turn back the clock, but we can certainly make a positive difference in the world. Consider going green, planting more trees, using eco-friendly materials, and making sustainable fashion a trend.